Tuesday, 24 June 2014

रुपे कार्ड:-RuPay



RuPay

रुपे कार्ड (RuPay) भारत का स्वदेशी भुगतान प्रणाली पर आधारित एटीएम कार्ड है। इसे वीजा मास्टर कार्ड की तरह प्रयोग किया जाता है। अभी देश में भुगतान के लिए वीजा मास्टर कार्ड के डेबिट कार्ड तथा क्रेडिट कार्ड प्रचलन में हैं। ये कार्ड विदेशी भुगतान प्रणाली पर आधारित है। रुपे कार्ड को अप्रैल 2011 में विकसित गया था। इसे भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (एनपीसीआई) ने विकसित किया है।
8 मई 2014 को भारत के राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी ने भारत का अपना भुगतान कार्डरुपेराष्ट्र को समर्पित किया। भारतीय रिजर्व बैंक ने 2005 में ऐसी स्वदेशी सेवा की आवश्यकता की परिकल्पना की थी और यह कार्य 2010 में इसके संचालन के तुरंत बाद भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (एनपीसीआई) को सौंप दिया था। एनपीसीआई ने रुपे सेवा को अप्रैल, 2013 में ही शुरू कर दिया था जबकि कार्ड भुगतान नेटवर्क को पूरी तरह कार्य रूप देने में सामान्यत: पाँच से सात वर्ष लग जाते हैं। उक्त तिथि तक इस नेटवर्क में 70 लाख कार्ड जारी किए जा चुके थे। रुपे कार्ड परियोजना में 17 बैंकों ने सहयोग दिया है।
एनपीसीआई भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा गठित संस्था हैं। रिजर्व बैंक ने वर्ष 2009 में इंडियन बैंक्स एसोसिएशन से गैर-लाभकारी कंपनी शुरू करने और वीजा तथा मास्टर कार्ड की तरह घरेलू स्तर पर एक कार्ड डिजाइन करने को कहा था।
2009-12 के विज़न डॉक्युमेंट में भारतीय रिज़र्व बैंक ने भारत के लिए एक स्वदेशी कार्ड स्थापित करने की संभावनाओं पर विचार किया। तदनुसार, रुपे कार्ड के लिए प्रायोगिक तौर पर लॉंच करने के लिए एनपीसीआई को अधिकृत किया गया। तत्पश्चात् मार्च 2012 में कार्ड लॉंच कर दिया गया।

एनपीसीआई ने 14 मई 2011 को महाराष्ट्र में शहरी सहकारी क्षेत्र के गोपीनाथ पाटिल पर्तिक जनता सहकारी बैंक के साथ पहला रुपे कार्ड लाँच किया था। इसके बाद काशी-गोमती संयुक्त ग्रामीण बैंक (केजीएसजी) ने 24 मई 2011 में इस कार्ड को जारी किया था। एनपीसीआई ने अभी तक चार बैंकों को अपने साथ जोड़ा है। इनमें दो शहरी सहकारी बैंक, एक क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक और एक मुख्यधारा का वाणिज्यिक बैंक, बैंक ऑफ़ इंडिया है। इन बैंकों ने वित्तीय समावेशन के तहत जोड़े गए ग्राहकों को यह कार्ड जारी किया है। शीघ्र ही मुख्य धारा वाले अन्य बैंक भी इस कार्ड को जारी करेंगे। अभी यह कार्ड सीमित सेवाएँ दे रहा है। बाद में यह क्रेडिट कार्ड के रूप में भी जारी किया जाएगा। व्यावसायिक तौर पर जारी होने के बाद यह कार्ड वीजा और मास्टर कार्ड जैसी वैश्विक भुगतान प्रणाली की जगह ले लेगा। चीन भी इसी तरह का कार्ड `यूनियन पे ऑफ चाइना' के नाम से पहले ही विकसित कर चुका है।

रु पे कार्ड देश के सभी (1.60 लाख से भी ज्यादा) एटीएम, 9.45 लाख से भी ज्यादा पीओएस टर्मिनल और अधिकतर -कॉमर्स टर्मिनलों में स्वीकार किए जाएंगे। इस कार्ड का एक स्वरूपकिसान कार्डइस समय सभी सरकारी बैंकों द्वारा जारी किया जा रहा है। इसके साथ ही 43 बैंकों के डेबिट कार्ड में भी इसका उपयोग किया जा रहा है। सरकारी कंपनी आईआरसीटीसी शीघ्र ही प्रीपेड रु पे कार्ड जारी करने वाली है।

इस समय देश में 150 से भी ज्यादा सहकारी और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक रु पे एटीएम कार्ड जारी कर रहे हैं। इस समय 17 मिलियन कार्ड जारी हो चुके हैं जबकि हर महीने करीब 3 मिलियन कार्ड जारी हो रहे हैं। यह कार्ड बैंकिंग क्षेत्र में भारत की क्षमता भी दर्शाता है। इससे अंतर्राष्ट्रीय कार्डो पर निर्भरता भी कम होगी।

रु पे का विकास नेशनल पेमेंट कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया(एनपीसीआई) ने किया है जिसे भारतीय रिजर्व बैंक ने बैंकिंग उद्योग के लिए प्रवर्तित किया है।

 देश के अपने भुगतान कार्ड 'रपे' हुआ पेश - एटीएम मशीनों से धन निकालने और दुकानों तथा पेट्रोलपंपों आदि पर कार्ड से भुगतान के लिए प्रयोग - आईआरसीटीसी जल्दी अपने यहां रपे कार्ड से क्रय-बिक्रय की सुविधा शुरू करेगी - रपे तीन चैनलों - एटीएम, बिक्री केंद्र और ऑनलाइन बिक्री - पर काम करता है - बैंक इसके लिए विदेशी मुद्रा के बदले भारतीय रुपये में शुल्क अदा करेंगे - ढाई सौ से अधिक बैंक रपे कार्ड जारी कर रहे हैं - सक्रिय रपे कार्ड के धारक को एक लाख रुपये तक का बीमा संरक्षण पीटीआई, नई दिल्ली भारत ने 'वीजा' और 'मास्टकार्ड' का देसी विकल्प 'रपे' पेश किया। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने यहां राष्ट्रपतिभवन में एक एक समारोह में 'रपे' कार्ड का अनावरण किया। कार्ड को राष्ट्र को समर्पित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि 'रुपे' के प्रचलन में आने के साथ भारत उन कुछ गिने चुने देशों में गया है जिन्होंने अपने खुद के का कार्ड के जरिए भुगतान का मार्ग स्थापित कर लिया है। - घटेगी नकदी पर निर्भरता राष्ट्रपति मुखर्जी ने कहा कि आने वाले दिनों में भारत जैसे विशाल देश में कार्ड से लेने-देन का दायरा बहुत अधिक बढेगा। उन्होंने कहा कि 'रपे' प्रणाली से लेन देन के लिए सिर्फ नकदी पर निर्भरता घटेगी बल्कि उपयोक्ताओं को देश में भुगतान के विकल्पों को विविधता भी मिलेगी। रपे प्रणाली का एनपीसीआई ने कराया है। एनपीसीआई के अध्यक्ष बालचंद्रन एम ने कहा कि एनपीसीआई के निदेशक मंडल ने 'रपे' इंटरनैशनल स्तर पर प्रचलित करने की योजना भी बनाई है। - इंटरनैशनल कार्ड की लागत से कम कीमत पर होगा उपलब्ध इस मौके पर वित्तीय सेवा सचिव जी एस संधू ने कहा कि रपे इंटरनैशनल कार्ड की लागत से कम कीमत पर उपलब्ध होगा। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने अब तक 25,331 रपे कार्ड एटीएम लगाए हैं और चालू वित्त वर्ष के दौरान 9,000 और एटीएम लगाए जाएंगे। - निटपान और भुगतान की लागत होगी कम इस प्रणाली में लेन - देन की प्रॉसेसिंग घरेलू स्तर पर होगी। इसलिए उम्मीद है कि इसमें निटपान और भुगतान की लागत कम होगी। बैंक इसके लिए विदेशी मुद्रा के बदले भारतीय रुपये में शुल्क अदा करेंगे। सार्वजनिक क्षेत्र बैंकों ने डेबिट कार्ड के अलावा अब इस कार्ड का नया स्वरूप किसान कार्ड जारी किया है। इनके अलावा दूध खरीद के भुगतान के लिए अलग कार्ड भी जारी किया गया है। अप्रैल तक इस कार्ड के उपभोक्ताओं की संख्या दो करोड़ से अधिक हो गई। - रपे मतलब ' रुपया ' और पेमेंट रपे नई कार्ड भुगतान योजना है . इसका नाम दो शब्दों ' रुपया ' और पेमेंट से मिलकर रखा गया है। सक्रिय रपे कार्ड के धारक को व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा और स्थायी नि : शक्तता के मामले में एक लाख रुपये तक का बीमा संरक्षण भी मिलेगा। ऐसी सुविधाएं किसी भी इंटरनैशनल कार्ड योजना के पास नही है।....http://chandancs.blogspot.in/

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